बृहस्पति ग्रह के उपाय
बृहस्पति ग्रह का परिचय
बृहस्पति( गुरु) सूर्य से 48,33,00,000 मील दूर है| यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है| मध्य रेखा पर इसका अभ्यास 88. 700 मील है|
गुरु 8.1 मील प्रति सेकंड की गति से 12 राशियों का भ्रमण 11.9 वर्ष में पूरी करता है|
ज्योतिष में इसे देवगुरु और ज्ञान का कारक माना गया हैं|
गुरु से ज्ञान ,सद्गुरु ,पुत्र ,मंत्री, शास्त्र ,तपस्या व मंगल कार्य अध्ययन अध्यापन कार्य न्यायाधीश आदि का विचार से करते हैं|
गुरु की स्वराशि धनु और मीन है| कर्क राशि के 5 अंश पर उच्च का होता है| और मकर राशि के 5 अंश पर नीच का होता है|
बृहस्पति ग्रह के उपाय
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गुरु व ब्राह्मणों की सेवा करें |
- बड़ों का सम्मान करें|
- सत्यनारायण की कथा अपने घर पर कराएं |
- बृहस्पतिवार के व्रत रखें | ( इस व्रत में नमक का प्रयोग वर्जित है)
- पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करें| (रुद्राक्ष को एक विशेष नक्षत्र में पहना जाता है)
- एकादशी का व्रत रखें
- प्रत्येक बृहस्पतिवार को केले के पेड़ में हल्दी युक्त जल चढ़ाएं
- एक कपड़े में हल्दी की गांठ को बाजू में बांध ले |
- बृहस्पति कवच का पाठ करें| बृहस्पति कवच
बृहस्पति के मंत्र
तांत्रिक मंत्र-ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सःगुरवे नमः ( जप संख्या 19000)
लघु मंत्र- ॐ बृं बृहस्पतये नमः
बृहस्पति ग्रह का रत्न
बृहस्पति ग्रह का रत्न पुखराज है| यह गहरे पीले रंग का होता है|
पुखराज को सोने की अंगूठी में पहनना चाहिए|
( पुखराज कम से कम सवा पांच रत्ती का जरूर पहनना करना चाहिए|)
पुखराज को बृहस्पतिवार के दिन गुरु के नक्षत्र में तर्जनी उंगली में पहने |
पुखराज के उपरत्न पुखराज के उपरत्न में सुनहला प्रमुख है|
अगर सुनहला अच्छी क्वालिटी का हो तो वह पुखराज की तरह काम करता है|