केतु कोई ग्रह न हो पर केवल छाया मात्र है| राहु केतु चंद्रमा और क्रांतिवृत्त के कटान बिंदु है परंतु भारतीय ज्योतिष में इसको भी ग्रह की संज्ञा दी गई है| इसके प्रभाव को महत्व बहुत माना गया है राहु केतु को राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है| केतु ग्रह से जातक का पिछला जन्म भी देखा जा सकता है|केतु ग्रह से जातक के जन्मों का पता लग सकता है| केतु ग्रह मोक्ष देने वाला ग्रह है केतु ग्रह जिस भाव में बैठते हैं उसी के अनुसार फल देते हैं राहु की तरह केतु का भी प्रभावित आकस्मिक होता है| जिसमें व्यक्ति को संभलने का मौका नहीं मिलता है|
तांत्रिक मंत्र- ॐ सां श्रीं सौं सः केतवे नमः ( जाप संख्या- 18000)
लघु मंत्र- ॐ कें केतवे नम
केतु ग्रह का रत्न लहसुनिया है जिस को अंग्रेजी में( Cat eye) कहते हैं
यह बिल्ली की आंख की तरह चमकीला व पारदर्शक होता है
लहसुनिया को पंच धातु में पहनना चाहिए|
लहसुनिया कम से कम 5 रत्ती का जरूर पहने|
श्रीलंका का लहसुनिया सबसे उच्च क्वालिटी का होता है लहसुनिया मध्यमा अंगुली मैं पहना जाता है
लहसुनिया को शुक्रवार की शाम को मंत्रों द्वारा शुद्ध करके केतु के नक्षत्र में पहना जाता है|