राहु का परिचय


राहु कोई ग्रह ना होकर केवल छाया मात्र है राहु केतु चंद्रमा और क्रांतिवृत्त के कटान बिंदु है. भारतीय ज्योतिष में छाया ग्रह होते हुए उनके प्रभाव को बहुत महत्व दिया गया है राहु केतु को किसी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है राहु जिस भाव में बैठते हैं उसको किसी ना किसी रूप में बिगड़ते हैं राहु का प्रभाव आकस्मिक होता है| जिसमें संभलने का मौका नहीं मिलता है | राहु की दशा अंतर्दशा में व्यक्ति की बुद्धि भ्रमित रहती है सही और गलत में अंतर करना मुश्किल हो जाता है और कई बार गलत निर्णय लेने से पछताना पड़ता है


राहु ग्रह के उपाय

  1. सरस्वती पूजन करें


  2. 8मुखी रुद्राक्ष धारण करें | (राहु के नक्षत्र में ही धारण करें |


  3. काली दाल(उड़द) बहते हुए पानी में दाल डालें|


  4. राहु के मंत्र का जाप करें
  5. राहु के मंत्र का जाप करें

  6. राहु कवच का पाठ करें|राहु कवच


  7. राहु के स्त्रोत का पाठ करें |


राहु का मंत्र

तांत्रिक मंत्र- ॐ भ्रां भी भ्रौं सः राहवे नमः (जाप संख्या-18000 )
लघु मंत्र- ॐ रां राहवे नमः

राहु ग्रह का रत्न

राहु ग्रह का रत्न गोमेद है| गोमेद कम से कम 6:15 रत्ती का जरूर पहने |
गोमेद को शुक्रवार के दिन दोनों वक्त मिले राहु के नक्षत्र में मंत्रों से शुद्ध करके पहना जाता है|

गोमेद को सोने की अंगूठी में बनवाना चाहिए| श्रीलंका का गोमेद सबसे उच्च क्वालिटी का होता है|
गोमेद एकदम साफ सुथरा होना चाहिए|
गोमेद की अंगूठी को मध्यमा उंगली मैं पहनना चाहिए|

गोमेद को शुक्रवार के शाम को राहु के नक्षत्र में मंत्रों द्वारा शुद्ध करके पहनना चाहिए|
गोमेद को बिना परामर्श के नहीं पहनना चाहिए

राहु ग्रह की वनस्पति- राहु ग्रह वनस्पति दु बा है|