शनि ग्रह का उपाय

शनि ग्रह का परिचय


नव ग्रहों शनि सूर्य से सबसे दूर का ग्रह है| शनि सूर्य से 88 करोड़ 61 लाख मील तथा पृथ्वी से 79 करोड़ 31 लाख43 हजार मील दूर है| शनि ग्रह का व्यास 75100 मील है| शनि 6 मील प्रति सेकंड की गति से अपनी कक्षा पर 29.5 वर्ष में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करता है| फलित ज्योतिष में शनि का मंद ,सूर्य पुत्र भी कहते हैं|


शनि मकर और कुंभ राशि का स्वामी है| तुला राशि के 20 अंश पर उच्च का होता है|
मेष राशि के 20अंश परम नीच का होता है| सूर्य के 9अंश पर अस्त हो जाता है|
शनि का मूलांक 8 है|

शनि ग्रह के उपाय

  1. शनि का व्रत रखें |


  2. प्रत्येक शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे संध्या के समय दिया जलाएं |


  3. छाया दान करें| शनि छाया दान करने की विधि


  4. बहते हुए पानी में 7 बदाम बहाएं|


  5. सात मुखी रुद्राक्ष धारण करें |


  6. भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें|
    (रुद्राभिषेक कराने के लिए एस्ट्रो मनु से संपर्क करें)


  7. शनि चालीसा का पाठ करें |


  8. शनि कवच का पाठ करें| शनि कवच


  9. दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ करें| दशरथ कृत शनि स्त्रोत



शनि ग्रह के मंत्र

तांत्रिक मंत्र-
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः (जाप संख्या- 13000)
लघु मंत्र- ॐ शं शनैश्चराय नमः


शनि ग्रह के रत्न

शनि ग्रह का रत्न नीलम है| नीले रंग की क्रांति वाला पारदर्शी चमकीला रत्न है | नीलम में आकर्षण की विलक्षण शक्ति होती है|
किसी के भाग्य को अचानक बदलने में नीलम सकारात्मक व नकारात्मक दोनों रूप में सशक्त भूमिका निभाता है|
यह फकीर को करोड़पति एवं करोड़पति को फकीर बनाने में ज्यादा समय नहीं लगाता है|
इसीलिए नीलम को बड़ा सोच समझकर पहनना चाहिए|
बिना किसी परामर्श के नहीं पहनना चाहिए|नीलम बीमार व्यक्ति को ठीक कर देता है तथा स्वस्थ व्यक्ति को अचानक दुर्घटनाग्रस्त करके मृत्यु के द्वार तक पहुंचा देता है| नीलम को पहनने से पहले इसको कम से कम तीन रातों तक अपने बाजू में बांधकर होना चाहिए|

अगर जातक को नींद अच्छी आती है तो तो नीलम पहनना चाहिए| और अगर रात में नींद अच्छी ना आए और बुरे सपने आएं नीलम को नहीं पहनना चाहिए|
नीलम बिना किसी परामर्श के नहीं पहनना चाहिए|
भारत में कश्मीर का नीलम सबसे उच्च क्वालिटी का माना जाता है| श्रीलंका के नीलम उत्तम होते हैं कश्मीर के नीलम को मयूर नीलम कहते हैं मोर की गर्दन के रंग का होता है|

नीलम को शनिवार के दिन शनि के नक्षत्र में शाम के समय मंत्रों से शुद्ध करके पहना जाता है नीलम मध्य उंगली में पहनना चाहिए|